उत्तराखंड का परिचय और यात्रा की तैयारी
उत्तराखंड राज्य का संक्षिप्त परिचय
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि भी कहा जाता है, भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक खूबसूरत राज्य है। यहाँ की पहाड़ियाँ, घने जंगल, स्वच्छ झीलें और शांत वातावरण हर प्रकृति प्रेमी को आकर्षित करते हैं। यह राज्य गढ़वाल और कुमाऊँ दो मुख्य क्षेत्रों में बँटा हुआ है। धार्मिक दृष्टि से भी उत्तराखंड का काफी महत्व है क्योंकि यहाँ हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थल हैं।
जलवायु और भौगोलिक विशेषताएँ
उत्तराखंड की जलवायु क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है। यहाँ की घाटियों में मौसम सुहावना रहता है, जबकि ऊँचे पहाड़ी इलाकों में सर्दियाँ अधिक ठंडी होती हैं। गर्मियों में तापमान 15°C से 30°C तक रहता है और सर्दियों में कई जगहों पर बर्फबारी भी होती है। मानसून के दौरान बारिश अधिक होती है, जिससे जंगल और झीलें और भी हरी-भरी लगती हैं।
कैम्पिंग के लिए आवश्यक फैक्ट-फाइंडिंग
अगर आप उत्तराखंड के अनदेखे जंगलों और झीलों में कैम्पिंग करने जा रहे हैं, तो आपको वहाँ की भौगोलिक स्थिति, मौसम और स्थानीय संसाधनों की जानकारी होना जरूरी है। ट्रेकिंग रूट्स, पास के गाँव, मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता, पीने का पानी, और मेडिकल फैसिलिटी आदि की पहले से जानकारी लें। स्थानीय लोगों से बातचीत करना भी उपयोगी साबित होता है क्योंकि वे मौसम व रास्तों की सही जानकारी दे सकते हैं।
उपयोगी स्थानीय संसाधनों और उपकरणों की सूची
संसाधन/उपकरण | महत्व | स्थानीय नाम/सुझाव |
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टेंट (Tent) | रात में ठहरने के लिए जरूरी | स्थानीय बाजारों में “पहाड़ी टेंट” |
स्लीपिंग बैग (Sleeping Bag) | ठंडी रातों के लिए जरूरी | “गरम कम्बल” भी विकल्प हो सकता है |
फर्स्ट एड किट (First Aid Kit) | इमरजेंसी के लिए आवश्यक | “प्राथमिक उपचार बॉक्स” |
टॉर्च/हेडलैम्प (Torch/Headlamp) | रात को रोशनी के लिए जरूरी | “बैटरी वाली टॉर्च” |
पानी फिल्टर या बोतल (Water Filter/Bottle) | पीने का सुरक्षित पानी पाने के लिए | “झरनों का पानी उबालकर पीना बेहतर” |
लोकल मैप और जीपीएस डिवाइस | रास्ता खोजने के लिए महत्वपूर्ण | “पहाड़ी नक्शा”, Google Maps ऑफलाइन सेव करें |
हल्का खाना (Ready to Eat Food) | ऊर्जा बनाए रखने के लिए जरूरी | “मग्गी”, “चिवड़ा”, “सूखे मेवे” |
रेनकोट/वाटरप्रूफ जैकेट (Raincoat/Jacket) | बारिश से बचाव के लिए जरूरी | “पहाड़ी छाता” भी काम आ सकता है |
मोबाइल पावर बैंक (Power Bank) | चार्जिंग सुविधा ना होने पर काम आएगा | “बाजार में आसानी से उपलब्ध” |
स्थानीय टिप्स:
- ज्यादा सामान न लेकर जाएँ; हल्का ट्रैवल करें।
- स्थानिय भाषा (गढ़वाली/कुमाउंनी) के कुछ शब्द जानना मददगार रहेगा।
- जहाँ तक संभव हो लोकल गाइड साथ रखें।
2. अनदेखे जंगल: छुपे हुए वन्य क्षेत्र
उत्तराखंड में पहाड़ों की ऊँचाइयों और गहरी घाटियों के बीच कुछ ऐसे जंगल भी हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये अनदेखे वन्य क्षेत्र न सिर्फ सुकून देने वाले हैं, बल्कि यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य भी अद्भुत है। जब आप मुख्य टूरिस्ट स्पॉट्स से दूर इन जगहों पर कैंपिंग के लिए पहुँचते हैं, तो आपको शुद्ध हवा, शांत वातावरण और स्थानीय जैव विविधता का असली अनुभव मिलता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और वातावरण
इन छुपे हुए जंगलों में ऊँचे-ऊँचे देवदार, बाँज और रोडोडेंड्रोन के पेड़ फैले होते हैं। सुबह-सुबह हल्की धुंध और पक्षियों की चहचहाहट मन को ताजगी से भर देती है। यहाँ का वातावरण ठंडा और ताजगी से भरा होता है, जो शहरों की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से बिल्कुल अलग है।
स्थानीय वनस्पति (फ्लोरा) और जीव-जंतु (फौना)
वनस्पति | मुख्य विशेषताएँ |
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देवदार (Cedar) | इनकी खुशबू पूरे जंगल में फैल जाती है। |
बाँज (Oak) | स्थानीय लोगों के लिए ईंधन का स्रोत है। |
रोडोडेंड्रोन (Buransh) | इसका फूल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। |
फर्न्स और जड़ी-बूटियाँ | कई औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं। |
जीव-जंतु | देखने की संभावना |
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हिमालयी मोनाल (Himalayan Monal) | सुबह या शाम के समय देख सकते हैं। |
बार्किंग डियर (काकर) | घने जंगलों में रहते हैं। |
लंगूर और बंदर | पेड़ों पर झुंड में दिखाई देते हैं। |
रेड फॉक्स व अन्य छोटे जानवर | रात के समय दिख सकते हैं। |
स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव
इन जंगलों के आसपास बसे गाँवों में रहने वाले लोग प्रकृति के साथ पूरी तरह जुड़े हुए हैं। वे पारंपरिक तरीके से लकड़ी इकट्ठा करते हैं, जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल घरेलू इलाज में करते हैं और अपने लोकगीतों में इन वनों का बखान करते हैं। अगर आप चाहें तो स्थानीय गाइड से जंगल की सैर कर सकते हैं, जिससे आपको सुरक्षित और सही जानकारी मिलती है।
कैम्पिंग के लिए जरूरी गियर
गियर का नाम | क्यों जरूरी? |
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वॉटरप्रूफ टेंट | जंगल में बारिश आम बात है, टेंट सूखा रखेगा। |
स्लीपिंग बैग (ठंडा मौसम) | रातें ठंडी होती हैं, गर्म रखने के लिए जरूरी है। |
हैड-लैम्प/टॉर्च | रात को रोशनी के लिए काम आएगा। |
इंसेक्ट रिपेलेंट क्रीम | मच्छरों व कीड़े-मकोड़ों से बचाव करेगा। |
लोकेल मैप और कम्पास/जीपीएस डिवाइस | भटकने से बचने के लिए उपयोगी है। |
बायोडिग्रेडेबल साबुन और किचन सेट | पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना सफाई रखें। |
फर्स्ट-एड किट | आपातकालीन स्थिति के लिए आवश्यक है। |
उत्तराखंड के इन छुपे हुए जंगलों में कैम्पिंग एक अलग ही एहसास देता है, जहाँ आप प्रकृति की गोद में चैन की नींद ले सकते हैं और असली हिमालयी जीवनशैली को करीब से महसूस कर सकते हैं। यहाँ ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग या रात को बोनफायर करने जैसी एक्टिविटीज़ भी आप एंजॉय कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि पर्यावरण की सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी भी है – कचरा इधर-उधर न फेंके और स्थानीय नियमों का पालन करें।
3. जादुई झीलें: शांतिपूर्ण तटों की खोज
उत्तराखंड की वादियों में छुपी हुई कई ऐसी झीलें हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये झीलें न सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर हैं, बल्कि यहाँ का शांत वातावरण भी हर कैंपर का दिल जीत लेता है। अगर आप पर्यटकों की भीड़ से दूर रहकर प्रकृति के बीच सुकून भरा समय बिताना चाहते हैं, तो इन रहस्यमयी झीलों का रुख ज़रूर करें।
कैम्पिंग के लिए बेहतरीन अनदेखी झीलें
झील का नाम | लोकेशन | कैम्पिंग की खासियत | आसपास के आकर्षण |
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देवरिया ताल | चोपता-उखीमठ रोड, रुद्रप्रयाग | शांत तट, पहाड़ों का प्रतिबिंब, स्टारगेज़िंग | तुंगनाथ ट्रेक, चंद्रशिला पीक |
दोडीताल | उत्तरकाशी जिला | पाइन जंगल से घिरी, मछली पकड़ना संभव | दारवा टॉप ट्रेक, स्थानीय गाँव दर्शन |
सातताल | नैनीताल जिला | सात छोटी झीलों का समूह, बर्ड वॉचिंग पॉइंट्स | पैडल बोटिंग, लोकल होमस्टे एक्सपीरियंस |
भीमताल | नैनीताल के पास | झील किनारे कैम्पिंग स्पॉट्स, कयाकिंग ऑप्शन | एक्वेरियम द्वीप, लोकल मार्केट विज़िट |
खुरपा ताल | नैनीताल डिविजन | कम भीड़भाड़, फोटोग्राफी के लिए आदर्श जगह | ऑर्गेनिक फार्म्स विज़िट, शांत वॉक्स |
झील किनारे कैम्पिंग का अनुभव और जरूरी गियर टिप्स
कैम्पसाइट चुनते समय ध्यान दें:
– झील से थोड़ी दूरी पर टेंट लगाएं ताकि जल स्तर में अचानक बदलाव से बचा जा सके।
– हमेशा लोकल लोगों से सलाह लें और सुरक्षित जगह पर ही कैम्प करें।
अनिवार्य गियर लिस्ट:
- वाटरप्रूफ टेंट: रात में नमी और सुबह की ओस से बचाव के लिए जरूरी है।
- पोर्टेबल किचन सेट: झील किनारे खाना बनाना एक अलग अनुभव देता है।
- स्लीपिंग बैग (0°C तक): पहाड़ी मौसम रात में काफी ठंडा हो सकता है।
- हेड टॉर्च और पावर बैंक: बिजली की सुविधा नहीं होती; मोबाइल चार्जिंग और रात के सफर में काम आते हैं।
- गर्म कपड़े और बारिश से बचने वाला जैकेट:
- BIODEGRADABLE SOAP & TRASH BAG: प्रकृति को साफ रखना हमारा फर्ज है।
लोकल कल्चर का अनुभव भी लें!
इन झीलों के आसपास बसे गाँवों में जाकर वहाँ की संस्कृति और स्वादिष्ट पहाड़ी खाने का आनंद उठाएँ। अक्सर गाँव वाले कैम्पर्स को लोकल कहानियाँ और पारंपरिक गीत भी सुनाते हैं – जो आपके कैंपिंग ट्रिप को यादगार बना देंगे।
याद रखें:
झीलों के किनारे शांति बनाए रखें, तेज आवाज़ में संगीत या हुल्लड़बाजी करने से बचें — यही असली कैम्पिंग एटीकेट है!
उत्तराखंड की ये जादुई झीलें उन लोगों के लिए एकदम सही हैं जो प्रकृति की गोद में कुछ दिन शांति से बिताना चाहते हैं। अगली बार जब आप अपने कैंपिंग गियर पैक करें, तो इन अनदेखी और शांतिपूर्ण झीलों को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें!
4. स्थानीय संस्कृति और समुदाय
स्थानीय पर्वतीय संस्कृति का अनुभव
उत्तराखंड के अनदेखे जंगलों और झीलों में कैम्पिंग करने का असली मजा वहाँ की पर्वतीय संस्कृति को महसूस किए बिना अधूरा है। यहाँ के लोग बहुत ही सरल और मेहमाननवाज होते हैं। पारंपरिक रीति-रिवाज, लोकगीत, नृत्य और त्यौहार उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा हैं। अगर आप गाँव या दूर-दराज के इलाके में कैम्पिंग करते हैं तो आपको इन सांस्कृतिक रंगों की झलक जरूर मिलेगी।
रीति-रिवाज और त्योहार
यहाँ के प्रमुख त्योहारों में फगुवा, हरेला, फूलदेई, और मकर संक्रांति शामिल हैं। इन दिनों गाँवों में खास उत्साह देखने को मिलता है। धार्मिक स्थलों पर होने वाले मेलों और पूजा-अर्चना में भी भाग लेना एक अलग अनुभव देता है।
उत्तराखंड के प्रमुख त्योहार
त्योहार | समय | विशेषता |
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हरेला | जुलाई | प्रकृति व हरियाली का पर्व |
फूलदेई | मार्च-अप्रैल | बच्चों द्वारा फूल बिखेरने की परंपरा |
मकर संक्रांति (घुघुतिया) | जनवरी | मिठाइयाँ व पक्षियों को दाना डालना |
फगुवा (होली) | मार्च | लोकगीत व रंगों की होली |
स्थानीय भोजन: स्वादिष्ट और पौष्टिक
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों का खाना सादा, स्वादिष्ट और सेहतमंद होता है। यहाँ की खास डिशेज़ जैसे आलू के गुटके, भट्ट की चुरकानी, मंडुए की रोटी, और झंगोरे की खीर आपको जरूर ट्राय करनी चाहिए। स्थानीय लोग ज्यादातर मौसमी सब्ज़ियाँ और दालें खाते हैं, जो शरीर को मौसम के अनुसार फिट रखती हैं। गाँव या कस्बे के किसी स्थानीय ढाबे में भोजन करना आपके लिए एक यादगार अनुभव हो सकता है।
लोकप्रिय पहाड़ी व्यंजन तालिका
भोजन का नाम | मुख्य सामग्री | विशेषता |
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आलू के गुटके | आलू, मसाले, धनिया पत्ती | झटपट बनने वाला स्नैक |
भट्ट की चुरकानी | भट्ट (काले सोयाबीन), मसाले | पौष्टिक दाल जैसा व्यंजन |
मंडुए की रोटी | मंडुआ (रागी) आटा | ऊर्जा देने वाली रोटी |
झंगोरे की खीर | झंगोरा (बार्नयार्ड मिलेट), दूध, चीनी | स्वादिष्ट मीठा व्यंजन |
स्थानीय भाषा और संवाद टिप्स
उत्तराखंड में मुख्य रूप से कुमाऊँनी, गढ़वाली और हिंदी बोली जाती हैं। अधिकांश लोग हिंदी समझते हैं लेकिन यदि आप कुछ आम स्थानीय शब्द सीख लें तो लोगों से जल्दी घुल-मिल सकते हैं। नीचे कुछ उपयोगी शब्द दिए गए हैं:
काम आने वाले स्थानीय शब्द:
हिंदी/अर्थ | गढ़वाली/कुमाऊँनी शब्द |
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Hello/नमस्ते | “Jai Badri Vishal”, “Namaskar” |
धन्यवाद / Thank You | “Dhanyawaad” / “Bhala ho” |
कैसे हो? / How are you? | “Kaise chha?” (गढ़वाली), “Ka chha?” (कुमाऊँनी) |
स्थानीय लोगों के साथ संवाद की टिप्स:
- हमेशा नम्रता से बात करें और अभिवादन करें।
- अगर कोई रीति-रिवाज चल रहा हो तो उसमें रुचि दिखाएँ, लेकिन अनुमति लेकर ही भाग लें।
- स्थानीय भाषा सीखने की कोशिश करें—इससे लोग जल्दी दोस्त बनाते हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान में हिस्सा लें—लोकगीत सुनें या साझा भोजन करें।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्व
उत्तराखंड के जंगलों और झीलों में कैम्पिंग करते हुए स्थानीय समुदाय से जुड़ना आपकी यात्रा को ज्यादा यादगार बना देगा। यह न सिर्फ आपके अनुभव को समृद्ध करता है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी खुशी का कारण बनता है। उनकी कहानियाँ सुनें, लोकगीतों का आनंद लें और प्रकृति के साथ-साथ संस्कृति से भी जुड़ाव महसूस करें।
5. कैम्पिंग के लिए जरूरी गियर और तैयारी
उत्तराखंड के अनदेखे जंगल और झीलें रोमांचकारी तो हैं, लेकिन वहाँ की प्राकृतिक परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं। यहाँ सुरक्षित और आरामदायक कैम्पिंग के लिए सही गियर, सुरक्षा उपाय, भोजन और पानी की तैयारी बेहद जरूरी है। नीचे दिए गए सुझाव आपकी यात्रा को आसान बनाएंगे:
उत्तराखंड के जंगलों और झीलों के अनुसार उपयुक्त कैम्पिंग गियर
गियर का नाम | महत्त्व | विशेष टिप्स |
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टेंट (Tent) | बरसात व ठंडी हवाओं से बचाव | वाटरप्रूफ और विंडप्रूफ टेंट चुनें |
स्लीपिंग बैग (Sleeping Bag) | रात में गर्म रखने के लिए | -5°C या उससे कम तापमान वाला स्लीपिंग बैग लें |
मैट्रेस/मैट (Sleeping Mat) | जमीन की नमी और पत्थरों से बचाव | हल्का और फोल्डेबल मैट रखें |
हेड लैम्प/टॉर्च (Headlamp/Torch) | रात में देख पाने के लिए | अतिरिक्त बैटरियां साथ रखें |
रैनकोट/पोंचो (Raincoat/Poncho) | अचानक बारिश से बचने हेतु | हल्का व वाटरप्रूफ पोंचो चुनें |
पहाड़ी जूते (Trekking Shoes) | फिसलन भरी या ऊबड़-खाबड़ जमीन पर चलने के लिए | ग्रिप अच्छे हों, पानी रोधी हों |
फर्स्ट एड किट (First Aid Kit) | चोट या हल्की बीमारी में काम आएगा | बेसिक दवाएं, बैंडेज, एंटीसेप्टिक जरूर रखें |
मल्टी टूल/चाकू (Multi-tool/Knife) | कई छोटी जरूरतें पूरी करने हेतु | |
कैम्पिंग स्टोव (Camping Stove) | खाना पकाने में सहूलियत देगा | फ्यूल साथ में रखें, ओपन फायर से बचें |
वॉटर फिल्टर/प्यूरिफायर (Water Filter/Purifier) | झील या नदी का पानी पीने लायक बनाएं |
आवश्यक सुरक्षा उपाय (Safety Tips)
- जानवरों से सतर्क रहें: उत्तराखंड के जंगलों में कभी-कभी जंगली जानवर मिल सकते हैं। खाने की चीजें हमेशा सील पैक में रखें। रात को टेंट बंद रखें।
- स्थानिय लोगों से जानकारी लें: किसी भी क्षेत्र में जाने से पहले वहाँ के स्थानिय लोगों या फॉरेस्ट ऑफिस से मौसम व सुरक्षा की जानकारी जरूर लें।
- GPS या मैप इस्तेमाल करें: जंगलों में रास्ता भटकना आम है, इसलिए GPS या ऑफलाइन मैप जरूर रखें।
- समूह में ट्रैवल करें: अकेले कैम्पिंग न करें, कम-से-कम दो-तीन लोगों के ग्रुप में जाएं।
भोजन और पानी का प्रबंध कैसे करें?
खाना:
- इंस्टैंट फूड पैकेट: जैसे कि मैगी, सूखे मेवे, एनर्जी बार्स आदि ले जाएँ ताकि जल्दी बनाया जा सके।
- स्थानीय फल-सब्जियाँ: गाँवों से ताजे फल-सब्जी खरीद सकते हैं।
पानी:
- झील या नदी का पानी: हमेशा फिल्टर या प्यूरिफायर से साफ कर पीएं।
- Bottled Water: जहाँ तक संभव हो बोतलबंद पानी साथ रखें।
भोजन व पानी ले जाने की न्यूनतम सूची:
आइटम | Mात्रा (2 दिन के लिए) |
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Bottled Water/Water Filter Tablets | 2 लीटर प्रति व्यक्ति + टैबलेट्स/फिल्टर जरूरी |
Sukhe Meve / Energy Bars | 500 ग्राम / 4-6 बार्स प्रति व्यक्ति |
Maggie / Instant Food Packets | 4-6 पैकेट्स |
इन सुझावों और गियर लिस्ट के साथ आप उत्तराखंड के अनदेखे जंगलों और झीलों में सुरक्षित, सुविधाजनक और मजेदार कैम्पिंग का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। अपनी हर यात्रा को यादगार बनाने के लिए सही तैयारी सबसे जरूरी है!
6. सावधानियाँ और पर्यावरण की रक्षा
उत्तराखंड के अनदेखे जंगलों और झीलों में कैम्पिंग का असली मज़ा तभी आता है, जब हम अपने साथ-साथ वहां के पर्यावरण और वन्य जीवन का भी ध्यान रखें। यहां की जैव विविधता, स्थानीय संस्कृति और सुंदरता को बनाए रखने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना चाहिए।
स्थानीय वन्य जीवन और पर्यावरण की रक्षा कैसे करें?
उत्तराखंड के इन प्राकृतिक स्थानों में कई दुर्लभ पक्षी, जानवर और पौधे पाए जाते हैं। अगर हम बिना सोचे-समझे कैम्पिंग करेंगे तो इससे न केवल प्रकृति को नुकसान पहुँच सकता है, बल्कि हमारे अनुभव पर भी असर पड़ सकता है।
Leave No Trace सिद्धांत क्या है?
Leave No Trace (कोई निशान न छोड़ें) एक अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन है, जो बताती है कि प्रकृति में घूमने या कैम्पिंग करते समय हमें अपने पीछे कोई कचरा या नुकसान नहीं छोड़ना चाहिए। उत्तराखंड में कैम्पिंग करते समय इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।
सिद्धांत | कैसे अपनाएँ? |
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कचरा वापस ले जाएँ | अपने खाने-पीने या पैकेजिंग का कचरा बैग में भरकर वापिस लाएँ और सही जगह फेंकें। |
स्थानीय पौधों को न छुएँ | फूल, पौधे या पेड़ की टहनियाँ तोड़ना मना है। यह इकोसिस्टम को नुकसान पहुँचाता है। |
जानवरों से दूरी बनाए रखें | वन्य जीवों को तंग न करें, उनके करीब जाकर फोटो न खींचें और उन्हें खाना न खिलाएँ। |
शोर कम करें | तेज़ संगीत या चिल्लाने से जानवर डर सकते हैं और उनकी दिनचर्या बिगड़ सकती है। |
आग जलाने से बचें | जहाँ जरूरी न हो वहाँ बोनफायर न करें; अगर करें तो सुरक्षित जगह और सीमित मात्रा में करें। |
स्थानीय सरकारी गाइडलाइंस का पालन क्यों जरूरी है?
उत्तराखंड सरकार ने अपने जंगलों और झीलों की सुरक्षा के लिए कई नियम बनाए हैं। इनमें शामिल हैं—स्पेसिफिक एरिया में ही कैम्पिंग करना, फायर परमिट लेना, साइलेंस ज़ोन में शांति बनाए रखना आदि। इन नियमों का पालन करना न केवल आपकी सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि इससे स्थानीय समुदायों और प्रकृति को भी फायदा होता है।
संक्षिप्त सुझाव:
- हमेशा अपने गाइड या लोकल अथॉरिटी से अनुमति लें।
- प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करें; रीयूजेबल सामान साथ रखें।
- ग्रुप में जाएँ तो सभी को नियम समझाएँ।
- प्राकृतिक स्रोत जैसे झील या नदी में साबुन या कैमिकल्स का इस्तेमाल ना करें।
- ट्रेकिंग पथ से बाहर न जाएँ; इससे मिट्टी कटाव और पौधों को नुकसान पहुँच सकता है।