दक्षिण भारत में वन्यजीवन के मध्य कैंपिंग-हाइकिंग के अनुभव

दक्षिण भारत में वन्यजीवन के मध्य कैंपिंग-हाइकिंग के अनुभव

विषय सूची

1. दक्षिण भारत के अद्वितीय वन्यजीवन का संक्षिप्त परिचय

दक्षिण भारत प्रकृति प्रेमियों और साहसिक यात्रियों के लिए एक स्वर्ग है। यहां की विविध भौगोलिक संरचना, जैसे पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, नीलगिरि पहाड़ियां और विशाल तटीय क्षेत्र, इसे जैव विविधता से भरपूर बनाती हैं। इन इलाकों में कैंपिंग और हाइकिंग करते समय पर्यटक विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आवासों का अनुभव कर सकते हैं।

दक्षिण भारत के प्रमुख प्राकृतिक आवास

प्राकृतिक आवास स्थान विशेषताएं
घने वर्षावन केरल, कर्नाटक के पश्चिमी घाट समृद्ध वनस्पति, दुर्लभ पौधे और पक्षी
सूखे पर्णपाती वन आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्से बाघ, हाथी व अन्य स्तनधारी जीवों का निवास
मैंग्रोव वन आंध्र प्रदेश का गोदावरी डेल्टा कई जलीय प्रजातियां, प्रवासी पक्षी
घास के मैदान (शोला) नीलगिरि, पलानी हिल्स (तमिलनाडु, कर्नाटक) दुर्लभ औषधीय पौधे, स्थानिक जीव-जंतु

जैव विविधता और विशिष्ट वनस्पतियाँ एवं जीव-जंतु

दक्षिण भारत में आपको एशियाई हाथी (Asian Elephant), बंगाल टाइगर (Bengal Tiger), मालाबार जायंट स्क्विरल (Malabar Giant Squirrel), नीलगिरि तहर (Nilgiri Tahr) जैसे कई अनोखे जानवर देखने को मिलेंगे। यहां के जंगलों में पेड़-पौधों की हजारों प्रजातियाँ पाई जाती हैं—जिनमें सागवान (Teak), चंदन (Sandalwood), नीम (Neem) आदि शामिल हैं। इनके अलावा सर्पगंधा, ब्रह्मी जैसी औषधीय वनस्पतियाँ भी देखी जा सकती हैं। पक्षियों की बात करें तो ग्रेट हॉर्नबिल (Great Hornbill), मालाबार ट्रोगन (Malabar Trogon) जैसी रंग-बिरंगी प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। नीचे कुछ खास वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की जानकारी दी गई है:

प्रजाति/वनस्पति का नाम प्रमुख क्षेत्र विशेषता/महत्व
एशियाई हाथी पेरियार, बन्नरघट्टा नेशनल पार्क झुंड में रहना, जल स्रोतों के पास दिखते हैं
नीलगिरि तहर एराविकुलम नेशनल पार्क (केरल) दुर्लभ पहाड़ी बकरी, केवल दक्षिण भारत में पाई जाती है
चंदन वृक्ष कर्नाटक, तमिलनाडु के जंगल कीमती लकड़ी और सुगंधित तेल हेतु प्रसिद्ध
ग्रेट हॉर्नबिल पक्षी केरल व कर्नाटक के जंगलों में अधिकतर पाया जाता है विशाल चोंच वाला रंगीन पक्षी, सांस्कृतिक महत्व भी रखता है
सर्पगंधा पौधा तमिलनाडु, कर्नाटक औषधीय उपयोग, उच्च रक्तचाप की दवा में प्रयुक्त

संरक्षण प्रयास और स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव

यह क्षेत्र अपनी समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण हेतु कई राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों से युक्त है। स्थानीय जनजातियाँ और ग्रामीण समुदाय पारंपरिक रूप से वन संसाधनों का संरक्षण करते आए हैं। आज भी अनेक त्योहार व परंपराएँ इन वनों एवं जीव-जंतुओं के सम्मान में मनाई जाती हैं—जैसे कर्नाटक का नाग पंचमी या तमिलनाडु का पोंगल पर्व। इस प्रकार दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत भी यहां की जैव विविधता को सुरक्षित रखने में सहायक है।

कुल मिलाकर दक्षिण भारत का यह अनूठा प्राकृतिक संसार कैंपिंग-हाइकिंग करने वालों को रोमांचक अनुभव तो देता ही है, साथ ही प्रकृति की विविधता और उसकी सुरक्षा का महत्व भी समझाता है।

2. स्थानीय संस्कृतियों और जनजातीय जीवन के साथ संवाद

दक्षिण भारत की जनजातियाँ और उनकी सांस्कृतिक परंपराएँ

दक्षिण भारत के जंगलों में कैंपिंग-हाइकिंग करते समय यहाँ की पारंपरिक जनजातियों से मिलना एक अनूठा अनुभव होता है। इन जनजातियों की अपनी अलग भाषा, रीति-रिवाज, त्योहार और रहन-सहन की शैली है। आमतौर पर आपको नीलगिरी, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के वन क्षेत्रों में टोडा, इरुला, कुरुम्बा, कोटा और चेंचू जैसी जनजातियाँ देखने को मिलती हैं। ये लोग सदियों से वनों के साथ सह-अस्तित्व में रहते आए हैं और प्रकृति का सम्मान करते हैं।

प्रमुख दक्षिण भारतीय जनजातियाँ और उनके जीवनशैली

जनजाति स्थान मुख्य आजीविका संस्कृति की विशेषता
टोड़ा (Toda) नीलगिरी हिल्स (तमिलनाडु) डेयरी पालन, पशुपालन बांस की झोपड़ियाँ, पारंपरिक वस्त्र
इरुला (Irula) तमिलनाडु, केरल जड़ी-बूटी संग्रहण, साँप पकड़ना वनस्पति चिकित्सा ज्ञान
कुरुम्बा (Kurumba) नीलगिरी क्षेत्र मधुमक्खी पालन, शिकार लोक गीत और लोक नृत्य
कोटा (Kota) नीलगिरी क्षेत्र मिट्टी के बर्तन बनाना संगीत तथा वाद्य यंत्र निर्माण
चेंचू (Chenchu) आंध्र प्रदेश, तेलंगाना शिकार, वनोपज संग्रहण वन्यजीवन के साथ गहरा संबंध

जनजातीय रीति-रिवाज और प्रकृति से जुड़ाव

यहाँ की अधिकांश जनजातियाँ अपने उत्सवों और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे पेड़-पौधे, नदियाँ तथा पर्वतों की पूजा करती हैं। ये लोग मानते हैं कि जंगल उनका परिवार है। वे पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक नियमों का पालन करते हैं, जैसे कि केवल जरूरत भर ही वनोपज लेना और पशुओं को हानि न पहुँचाना। कैंपिंग के दौरान पर्यटकों को इन परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। कई जगह आपको स्थानीय जनजातियों द्वारा आयोजित लोकनृत्य एवं गीत सुनने को मिल सकते हैं। यह उनके दैनिक जीवन का हिस्सा है। इस तरह के अनुभव आपके ट्रिप को यादगार बना देते हैं।

पर्यटकों के लिए सुझाव:

  • स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें: जनजातीय लोगों से बात करते समय उनकी परंपराओं और विश्वासों का आदर करें।
  • स्थानीय गाइड लें: जंगल सफारी या ट्रेकिंग के दौरान किसी स्थानीय गाइड की मदद लें जिससे आप अधिक गहराई से उनकी संस्कृति को समझ सकें।
  • स्थानीय उत्पाद खरीदें: हाथ से बने हस्तशिल्प या स्थानीय खाने-पीने की चीज़ें खरीदकर जनजातियों को प्रोत्साहित करें।
वन्यजीवन के साथ जनजातियों का संबंध:

दक्षिण भारत की जनजातियाँ वन्यजीवन संरक्षण में अहम भूमिका निभाती हैं। वे प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करती हैं और जानवरों-पौधों को अपनी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा मानती हैं। इसीलिए जब भी आप दक्षिण भारत में जंगलों के बीच कैंपिंग-हाइकिंग करें, तो कोशिश करें कि स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करें और उनसे सीखें कि प्रकृति से सामंजस्य कैसे बनाया जाता है। इस प्रकार यह यात्रा न सिर्फ रोमांचक बल्कि ज्ञानवर्धक भी बन जाती है।

कैंपिंग-हाइकिंग की तैयारी और जरूरी उपकरण

3. कैंपिंग-हाइकिंग की तैयारी और जरूरी उपकरण

दक्षिण भारत का वन्यजीवन बहुत ही समृद्ध और विविध है। यहाँ के जंगलों में कैंपिंग-हाइकिंग करने से पहले आपको कुछ खास तैयारियाँ करनी होती हैं। इस हिस्से में हम दक्षिण भारत की जलवायु, मौसम, जरूरी ट्रेकिंग गियर्स, स्थानीय सुरक्षा मानदंड और जरूरी सावधानियों पर बात करेंगे।

दक्षिण भारत की जलवायु और मौसम

दक्षिण भारत में ज्यादातर समय गर्मी और उमस रहती है, लेकिन पहाड़ी इलाकों जैसे नीलगिरी, पश्चिमी घाट या कर्नाटक के कोडाईकनाल आदि जगहों पर मौसम ठंडा और सुहावना भी हो सकता है। बारिश का मौसम (मॉनसून) जून से सितंबर तक रहता है, जिसमें जंगल फिसलन भरे हो सकते हैं। सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक माना जाता है।

महीना मौसम कैंपिंग-हाइकिंग के लिए सुझाव
जून-सितंबर मॉनसून (भारी वर्षा) फिसलन भरी पगडंडियाँ, कीचड़; रेनकोट/वॉटरप्रूफ गियर जरूरी
अक्टूबर-फरवरी ठंडा-सुहावना मौसम सबसे उपयुक्त समय; हल्के जैकेट और वार्म कपड़े साथ रखें
मार्च-मई गर्मी और उमस हल्के, सांस लेने वाले कपड़े पहनें; पानी खूब पिएँ

जरूरी ट्रेकिंग गियर्स (आवश्यक उपकरण)

उपकरण महत्व/उपयोगिता
टेंट (Tent) रात को रुकने के लिए मजबूत और वाटरप्रूफ टेंट जरूरी है।
स्लीपिंग बैग/मैट आरामदायक नींद के लिए स्लीपिंग बैग या फोल्डेबल मैट साथ रखें।
ट्रेकिंग शूज़ (Trekking Shoes) फिसलन भरे रास्तों और पथरीली जमीन पर मजबूत जूते पहनें।
रेनकोट/पोंचो (Raincoat/Poncho) बारिश से बचाव के लिए आवश्यक।
पहचान पत्र (ID Proof) स्थानीय अधिकारियों द्वारा पूछे जा सकते हैं।
पहली सहायता किट (First Aid Kit) चोट या आपातकाल में काम आती है।
टॉर्च/हेडलैम्प (Torch/Headlamp) अंधेरे में चलने के लिए अनिवार्य। एक्स्ट्रा बैटरियाँ जरूर लें।
इंसेक्ट रिपेलेंट (Insect Repellent) मच्छरों एवं कीड़ों से बचाव के लिए जरूरी।
पानी की बोतल/फिल्टर (Water Bottle/Filter) स्वच्छ पानी पीना बहुत जरूरी है। पोर्टेबल वॉटर फिल्टर फायदेमंद रहेगा।
खाने का सामान (Dry Food/Snacks) ऊर्जा बनाए रखने के लिए ड्राई फ्रूट्स, एनर्जी बार्स आदि साथ रखें।
Navigational Tools (मानचित्र/कंपास/GPS) जंगल में रास्ता न भटकने के लिए जरूरी हैं। मोबाइल में ऑफलाइन मैप्स रखें।

स्थानीय सुरक्षा मानदंड एवं सावधानियाँ

  • स्थानीय गाइड: यदि पहली बार जा रहे हैं तो स्थानीय गाइड की मदद जरूर लें। वे रास्तों और जानवरों के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं।
  • वन विभाग की अनुमति: कई क्षेत्रों में प्रवेश करने से पहले वन विभाग या स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। अपनी यात्रा की जानकारी परिवार या मित्र को जरूर दें।
  • जंगली जानवरों से दूरी बनाएं: दक्षिण भारतीय जंगलों में हाथी, तेंदुआ, सांभर आदि जंगली जानवर होते हैं। इनके करीब जाने से बचें और शांतिपूर्वक आगे बढ़ें। किसी भी जानवर को खाना न दें।
  • Campsite साफ-सुथरा रखें: कचरा फैलाना मना है, हमेशा अपना कचरा साथ लेकर जाएँ या निर्धारित डस्टबिन में डालें।
  • SOS नंबर नोट करें: स्थानीय पुलिस, वन विभाग और नजदीकी अस्पताल के इमरजेंसी नंबर मोबाइल में सेव कर लें।
  • Mosquito Net उपयोग करें: रात को सोते समय मच्छरदानी जरूर लगाएँ, खासकर मानसून सीजन में।
  • Pit Fire का ध्यान: आग जलाते समय सतर्क रहें और इस्तेमाल के बाद पूरी तरह बुझाएँ ताकि जंगल में आग ना लगे।
  • Packing हल्की रखें: जरूरत भर का सामान ही पैक करें ताकि ट्रेकिंग आसान रहे और थकावट कम हो।
  • Campsite चुनते वक्त Safety देखें: खुली जगह चुनें जो झाड़ियों या झील से दूर हो ताकि जानवर न आएँ तथा बाढ़ का खतरा न हो।
  • Keeps Power Bank Ready: फोन चार्ज रखने के लिए पावर बैंक अवश्य रखें क्योंकि जंगलों में बिजली मिलना मुश्किल हो सकता है।

स्थानीय शब्दावली का ध्यान रखें:

  • “चाय” (Chai): गर्म पेय जो हर गांव-शहर में मिलेगा; हाइकिंग के बाद राहत देता है।
  • “अन्ना”/”अक्का”: तमिलनाडु-कर्नाटक में बड़े भाई/बहन को सम्मान से पुकारने का तरीका; स्थानीय लोगों से अच्छे संबंध बनाने में मदद करता है।
  • “बिसी बिल्ले बाट”: कर्नाटक क्षेत्रीय भाषा में गर्म पानी मांगे तो यह शब्द काम आएगा।
  • “थंबी”/”चेची”: दक्षिण भारत की बोलियों में छोटे भाई/बहन को बुलाने का तरीका।
  • “ओणम साध्या”, “इडली-सांबर”, “डोसा”: स्थानीय खाने की चीजें जिन्हें जरूर ट्राय करें।
यात्रा यादगार बने इसके लिए ये तैयारियाँ जरूर करें!

4. लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्ग और कैंपिंग स्थल

नीलगिरी पर्वतमाला में कैम्पिंग और ट्रेकिंग का अनुभव

नीलगिरी, जिसे ब्लू माउंटेन्स भी कहा जाता है, दक्षिण भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्यों में फैला हुआ है। यहां की हरियाली, धुंध से ढकी पहाड़ियां और चाय बगान इसे ट्रेकर्स व प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में कई ट्रेकिंग रूट्स हैं जहां जंगल के बीचोंबीच आपको कैम्पिंग का रोमांचक अनुभव मिलता है।

स्थान मुख्य आकर्षण अवधि (दिन)
डोड्डाबेट्टा पीक ऊंची चोटी से घाटियों का दृश्य, घने जंगल 1-2 दिन
मुदुमलाई नेशनल पार्क हाथी सफारी, पक्षी देखना, जंगल में रात बिताना 2-3 दिन
कोटागिरी ट्रेक झरने, कच्चे रास्ते और शांति का अहसास 1-2 दिन

पश्चिमी घाट: विविधता और जैविक समृद्धि के साथ कैंपिंग स्पॉट्स

पश्चिमी घाट को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी माना गया है। यहां की पर्वत श्रृंखलाएं अपने प्राकृतिक सौंदर्य, झरनों और घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध हैं। यह क्षेत्र कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु तक फैला हुआ है। यहाँ के लोकप्रिय ट्रेकिंग रूट्स जैसे अगुम्बे, चिकमंगलूर और कुर्ग ट्रेकर्स के बीच काफी चर्चित हैं। पश्चिमी घाट में आप स्थानीय आदिवासी संस्कृति के साथ-साथ विभिन्न वन्यजीवों को भी करीब से देख सकते हैं।

ट्रेकिंग रूट/स्थान खासियतें कैम्पिंग टिप्स
अगुम्बे रेन फॉरेस्ट ट्रेक बारिश के मौसम में हरियाली, सांप अनुसंधान केंद्र, सूर्यास्त पॉइंट मानसून सीजन में सावधानी रखें, स्थानीय गाइड लें
कुर्ग ट्रेक एंड कैम्पिंग साइट्स कॉफी बगान, झरने व बैकवाटर के किनारे टेंट लगाना संभव पर्यावरण अनुकूल कैम्पिंग करें, प्लास्टिक अवॉयड करें
चिकमंगलूर हिल्स ट्रेक्स पहाड़ी रास्ते, चाय-कॉफी प्लांटेशन से गुजरना, जंगल नाइट स्टे का मौका हल्के सामान रखें, मौसम अनुसार कपड़े पहनें

काबिनी: वन्यजीवन के बीच कैम्पिंग का रोमांच

काबिनी कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध वन्य जीव अभयारण्य है। यहाँ पर पर्यटक नदी किनारे टेंट लगाकर हाथी, तेंदुआ, हिरण आदि को पास से देख सकते हैं। काबिनी में कैम्पिंग करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है जब मौसम सुहावना रहता है और जानवर आसानी से देखे जा सकते हैं। यहाँ पर स्थानीय गाइड उपलब्ध रहते हैं जो जंगल नियमों की जानकारी देते हैं तथा सुरक्षित यात्रा कराते हैं। काबिनी सफारी बोट राइड्स भी अत्यंत लोकप्रिय हैं।

कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:

  • हमेशा स्थानीय गाइड या मान्यता प्राप्त एजेंसी के साथ ही ट्रेक या कैम्प करें।
  • प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करें; कचरा इधर-उधर न फेंकें।
  • वन्य जीवों से दूरी बनाए रखें और शोर न मचाएं।
  • अपने साथ बेसिक मेडिकल किट जरूर रखें।
  • स्थानीय भोजन व संस्कृति का आनंद लें; जरूरत पड़ने पर ही बाहर खाना लाएं।
दक्षिण भारत के इन ट्रेकिंग मार्गों और कैंपिंग स्थलों पर यात्रा करने से ना सिर्फ प्रकृति की गोद में समय बिताने का अवसर मिलता है बल्कि वहाँ की संस्कृति एवं जैव विविधता को भी करीब से महसूस किया जा सकता है। इन स्थलों पर जाने से पहले मौसम व सुरक्षा संबंधित जानकारी लेना जरूरी है ताकि आपकी यात्रा यादगार बने।

5. स्थानीय व्यंजनों और रीति-रिवाज का अनुभव

दक्षिण भारत में जंगलों के बीच कैंपिंग और हाइकिंग का सफर केवल प्राकृतिक सौंदर्य तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आपको यहां की सांस्कृतिक विविधता और स्वादिष्ट भोजन से भी रूबरू कराता है। जब आप स्थानीय गांवों या छोटे कस्बों में रुकते हैं, तो वहां के लोग आपको पारंपरिक भोजन और अपनी रीति-रिवाज से परिचित कराते हैं। इस अनुभाग में हम उन्हीं अनुभवों पर चर्चा करेंगे।

पारंपरिक दक्षिण भारतीय भोजन

जंगल के किनारे बसे गांवों में मिलने वाला खाना ताजगी और सरलता से भरपूर होता है। ज्यादातर भोजन केले के पत्ते पर परोसा जाता है, जिससे खाने का स्वाद और बढ़ जाता है। नीचे दी गई तालिका में कुछ लोकप्रिय व्यंजनों की सूची देख सकते हैं:

भोजन मुख्य सामग्री विशेषता
इडली-सांभर चावल, उड़द दाल, सब्जियां हल्का, प्रोटीन युक्त और आसानी से पचने योग्य
डोसा चावल, उड़द दाल, नारियल चटनी करारी पतली क्रेप, अक्सर नाश्ते में खाई जाती है
पुट्टु-कडला करी चावल का आटा, काले चने की करी केरल का प्रसिद्ध नाश्ता, पोषक तत्वों से भरपूर
रसम-चावल टमाटर, मसाले, चावल ताजगी देने वाला सूप जैसा व्यंजन, खाने के साथ परोसा जाता है
फिल्टर कॉफी कॉफी बीन्स, दूध, चीनी दक्षिण भारत की खास सुगंधित कॉफी, हर जगह लोकप्रिय

स्थानीय रीति-रिवाज और त्योहार

यहां के लोग अपने पारंपरिक त्योहारों और रोजमर्रा की जीवनशैली को बड़ी श्रद्धा और उत्साह से निभाते हैं। कैंपिंग करते समय आपको निम्नलिखित रीति-रिवाज देखने को मिल सकते हैं:

  • पोंगल: तमिलनाडु का फसल उत्सव जिसमें नया चावल पकाया जाता है और सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है।
  • ओणम: केरल का प्रमुख त्योहार, जिसमें फूलों की रंगोली बनाई जाती है और विशेष सद्या (भोज) तैयार किया जाता है।
  • लोक गीत व नृत्य: सांस्कृतिक रातों में स्थानीय कलाकार लोक गीत गाते हैं और पारंपरिक नृत्य जैसे कथकली या भरतनाट्यम प्रस्तुत करते हैं।
  • पूजा-पाठ: गांवों के मंदिरों में सुबह-शाम पूजा होती है जिसमें पर्यटक भी शामिल हो सकते हैं।

स्थानीय लोगों के साथ जुड़ाव का अनुभव

जंगल में कैंपिंग के दौरान सबसे खूबसूरत अनुभव होता है – स्थानीय लोगों की मेहमाननवाजी। वे ना सिर्फ आपको अपना खाना खिलाते हैं बल्कि अपनी संस्कृति व कहानियां भी साझा करते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी बड़े प्रेमपूर्वक बातें करते हैं तथा आपकी यात्रा को यादगार बना देते हैं। आप उनके साथ मछली पकड़ना सीख सकते हैं या खेतों में उनकी मदद कर सकते हैं। ये पल आपके कैंपिंग सफर को खास बना देते हैं।

यात्रियों के लिए सुझाव:
  • अगर संभव हो तो घर पर बने खाने का आनंद लें, यह स्वच्छ और पौष्टिक होता है।
  • त्योहार या सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने से पहले स्थानीय नियम जान लें।
  • संवाद करने के लिए कुछ आम शब्द या अभिवादन सीखें जैसे ‘नमस्ते’, ‘नन्द्री’ (धन्यवाद), ‘वनक्कम’ (अभिवादन)।
  • स्थानीय हस्तशिल्प या स्मृति चिन्ह खरीदकर स्थानीय समुदाय का समर्थन करें।

इस तरह दक्षिण भारत के वन क्षेत्र में कैंपिंग व हाइकिंग करते हुए आप प्रकृति के साथ-साथ यहां की संस्कृति व स्वादिष्ट व्यंजनों का भी पूरा आनंद ले सकते हैं।